
क्षिति जल पावक गगन समीरा !
पञ्च जनित यह अधम शरीरा !! -रामायण
👉 जैसे हमारा शारीर पञ्च तत्वों से मिलकर बनी है उसी तरह से पूरा ब्रम्हांड भी इन्ही पञ्च तत्वों से मिलकर बना है —ये पञ्च तत्व है –आकाश, वायु ,पृथ्वी ,जल और अग्नि !!
१) आकाश तत्व:- आकाश असीम अगम्य है। आकाश से ही शब्द की उत्पत्ति होती है। आकाश द्वारा प्रदत्त ध्वनि के उपहार ने हमारे जीवन को समृद्ध बना दिया है। अतः मकान बनाते समय दीवार की ऊंचाई से हमें यथेष्ट आकाश की प्राप्ति होती है। मन्दिरों के गुम्बज एवं मसजिदों के मेहराव आकाश शक्ति की विपुलता के प्रतीक है। जब हम भवन के मध्य स्थान [गर्भ स्थान ] को खुला रखते हैं तब आकाश तत्व खुलता है !!
२. वायु तत्व:- सारे प्राणी वायु से ही जीवन प्राप्त करते हैं। वायु में ७८% नाइट्रोजन तथा २१% ऑक्सीजन होती है। इस २१ प्रतिशत आक्सीजन पर ही यह पूरा ब्रह्मांड जीवित है। अतः भवन बनाते समय वायु के उचित आवागमन का ध्यान रखते हुये काफी संख्या में रोशन दान तथा खिड़कियां होनी चाहिये। हवा के लिये उत्तर दिशा खुली रखनी चाहिये और केन्द्रीय भाग खुला होना चाहिये।पेड़ पौधों से आक्सीजन तैयार होता है अत: घर में प्रद पौधों को उचित स्थान में लगाना चाहिए !!
३. अग्नि तत्व:- हम जानते है कि सूर्य ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है। अग्नि की ऊर्जा हमें सूर्य से आने वाले प्रकाश से प्राप्त होती है। अतः हमारे घर में खिड़कियों की ऐसी व्यवस्था हो कि प्रातःकालीन सूर्य की पवित्र रश्मियां अवश्य प्रवेश करें। व्यस्था ऐसी करें कि समुचित मात्रा मे ही प्रकाश प्रवेश करे अन्यथा ज्यादा देर तक सूर्य की तेज किरणें आने से घर गर्म हो जायेगा तथा अग्नि तत्व का आनुपतिक विश्लेषण बिगड़ जाएगा,जो हानिकारक होगा।
४. जल तत्व:- जल का स्थान घर में शुद्ध होना चाहिये। पानी का नल, जल संग्रह एवम छत की टंकी सही स्थान पर होनी चाहिए। सैप्टिक टैंक एवं वर्षा के जल का निष्कासन सही दिशा मे होना चाहिये।
५. पृथ्वी तत्व:- पर्यावरण तथा वायु मंडल की अनंत शक्तियों से पृथ्वी का गहरा सम्बंध है। पृथ्वी तथा अन्य तत्वों से जीवन क्रम का आरम्भ हुआ इसलिए पृथ्वी को माता का दर्जा दिया गया है। इसी कारण गृह निर्माण के समय पृथ्वी पूजन करते हैं। अत: पृथ्वी तत्व को भी उचित स्थान भवन बनाते समय देना चाहिये। इन पांच तत्वों को यथोचित मान देते हुये ही भवन निर्माण करना चाहिये।