
देश में 88,000 करोड़ रुपये मूल्य के 500 रुपये के नए नोट ‘लापता’ हो जाएं, और सरकार या भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को भनक भी ना लगे, ऐसा हो सकता है क्या? दरअसल मीडिया में इस तरह की खबरें थी कि सरकारी प्रेस ने जितनी मात्रा में ₹500 के नए नोट छापे, उतने बैंक को मिले नहीं, यानी बीच में से करीब 88,000 करोड़ रुपये के नोट ‘लापता’ हो गए. इस खबर का खंडन करते हुए अब आरबीआई ने इस पूरे मामले की गुत्थी सुलझा दी है.मीडिया रिपोर्ट्स में सूचना का अधिकार (आरटीआई) से मिली जानकारी के आधार पर ₹500 के नए नोट ‘लापता’ होने की बात कही गई थी.
आरटीआई में सरकारी प्रेस से जो जानकारी मांगी गई है, वह सिर्फ कितने नोट छापे इसकी बात बताती है.सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के तहत मांगी गई जानकारी का इंटरप्रेटेशन सही नहीं किया गया है. इसके अलावा प्रेस से आरबीआई तक नोट की आपूर्ति का एक स्ट्रॉन्ग सिस्टम है. बैंक को प्रेस से मिले हर नोट का हिसाब रखा जाता है.
इसमें ना सिर्फ नोटों की छपाई, बल्कि उनके स्टोरेज और डिस्ट्रिब्यूशन की जानकारी भी पुख्ता रखी जाती है. बंद हुए ₹2000 के नोटइस खबर से पहले हाल में आरबीआई ने 2000 रुपये के नोट भी बंद करने का ऐलान किया है. बैंकों में ये नोट जमा करने की आखिरी तारीख 30 सितंबर हैं. 2000 रुपये के ये नोट भी साल 2016 में उसी वक्त चलन में लाए गए थे, जब देश में 500 रुपये के नए नोट शुरू किए गए.