
राजनांदगांव, जिंदा रहते ही देहदान का ऐलान कई लोग करते हैं। कोई अपनी आंखें,तो कोई अपना लीवर तो कोई अपना किडनी मरने के बाद दूसरे जरूरतमंदों को देने की बात करता है। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में एक परिवार है,जिसके 8 सदस्यों ने अपने देहदान का फैसला लिया है। रिटायर्ड शिक्षक पुनरद दास साहू ने कहा कि मेरे कहने पर गांव के और लोगों ने भी अपने शरीर को मरने के बाद दान करने का फैसला किया है। उन्होंने बताया कि परिवार के सदस्यों सहित 144 लोगों ने यह संकल्प लिया है।
सेवानिवृत्त शिक्षक पुनरद दास साहू ने कहा कि मुझसे प्रेरणा लेकर,मेरे परिवार के सदस्यों सहित 144 लोगों ने अपने शरीर दान करने का संकल्प लिया है। मेरे परिवार के 8 सदस्यों ने अपने शरीर दान कर दिए हैं। मैं लोगों को बताना चाहता हूं कि किसी और के काम आने से बड़ा कोई आशीर्वाद नहीं है। यह सबसे बड़ा ‘दान’है। मैंने 14 अक्टूबर 2014 को अपना शरीर दान कर दिया था और तब से,मैं इस बारे में जागरूकता बढ़ा रहा हूं।
उन्हीं की परिवार की एक महिला सूर्योन्ति साहू ने बताया कि अपने ससुर से प्रेरणा लेकर,हमारे परिवार के 8 सदस्यों ने अपने शरीर दान कर दिए हैं। मरने के बाद मेरा शरीर दूसरों के काम आएगा, इसलिए मैंने अपना शरीर दान कर दिया है। परिवार के एक और सदस्य विष्णु दास साहू ने कहा कि मैंने अपने पिताजी से प्रेरणा ली है। हम जीते जी अपने शरीर का इस्तेमाल करते हैं,लेकिन अगर मरने के बाद हमारा शरीर दूसरों के काम आ सके,तो यह अच्छी बात होगी। इसीलिए मैंने अपना शरीर दान कर दिया है।