
नई दिल्ली :- चैत्र नवरात्रि का पर्व हिन्दू धर्म के लोगों के लिए बेहद खास और पवित्र त्योहार होता है. इस मौके पर मां दुर्गा के नौ रूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है. मां दुर्गा का आशीर्वाद पाने के लिए महिलाएं चैत्र नवरात्रि के नौ दिन तक उपवास रखती हैं. वहीं जो महिलाएं नौ दिन का व्रत नहीं रख पाती, वे पहले और आखिरी दिन उपवास जरूर रखती हैं. नवरात्रि के आठवें दिन यानी अष्टमी या नवमी पर नौ कन्याओं का पूजन किया जाता है. जो महिलाएं पूरे नवरात्र व्रत नहीं रखतीं, वे अष्टमी के दिन व्रत रखती हैं और कन्याओं का पूजन करती हैं इसे कंजक पूजन कहा जाता है.
पुजारी सुनील शास्त्री के अनुसार बता दें कि छोटी कन्याओं को हिन्दू धर्म में माता का ही स्वरूप माना गया है. यही वजह है कि अष्टमी और नवमी के दिन घर पर कन्याओं को आमंत्रित कर उन्हें मां दुर्गा के समान ही पूजा जाता है और उन्हें भोजन करवाया जाता है.
इसके साथ ही उन्हें तरह-तरह के गिफ्ट और पैसे दिए जाते है. ऐसी मान्यता है कि कन्याओं को गिफ्ट और घन देने से साधक को मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है. ऐसे में खबर के माध्यम से जानें कि कन्याओं को गिफ्ट में क्या देना चाहिए और क्या नहीं?…
कन्याओं को यह चीजों जरूर दें :-
आप मां दुर्गा के समान कन्याओं को चूड़ियां, बिंदी, लाल चुनरी आभूषण आदि दे सकते हैं. कंजक पूजन के दौरान आप कन्याओं को उनके पढ़ाई से संबंधित सामान जैसे कॉपी, पेंसिल, पेन, बैग आदि दे सकते हैं. साथ ही कन्याओं पैसे भी दिए जा सकते हैं. छोटी कन्याओं को गिफ्ट के तौर पर स्टील के बर्तन या लंच बॉक्स जैसी प्लास्टिक की चीजें देना भी शुभ नहीं माना जाता है. मान्यता है कि कन्या पूजन में ये सभी चीजें देने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और उपासक पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखती हैं.
कन्याओं को यह चीजों भूलकर भी ना दें :-
कन्या पूजन के दौरान कुछ ऐसी चीजें हैं जिन्हें भूलकर भी कंजक को नहीं देना चाहिए, अन्यथा माता रानी नाराज हो सकती हैं. घर आई कन्याओं को कभी भी कांच की बनी कोई वस्तु या नुकीली वस्तु न दें. साथ ही कंजक को काले कपड़े या काले रंग का कोई भी उपहार न दें. ऐसा करना बेहद अशुभ माना जाता है. इसके साथ ही कन्याओं को घर से विदा करने से पहले उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेना बेहद फलदायी माना जाता है. यह भी ध्यान रखें कि कन्याओं को घर से विदा करने के तुरंत बाद आप की साफ-सफाई न करें.
कन्या पूजन का महत्व :-
कन्या पूजन चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों में विशेष रूप से लोकप्रिय है. इस दिन मां दुर्गा की पूजा में कन्याओं को देवी का रूप माना जाता है. पंडित सुनील शास्त्री के अनुसार महाष्टमी पर कन्या पूजन करने से माता रानी अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. यह पवित्र आस्था का प्रतीक है, जिसके माध्यम से भक्त मां दुर्गा के समक्ष अपनी मनोकामनाएं प्रस्तुत करते हैं. शास्त्रों के अनुसार कन्या पूजन से समृद्धि, सुख और शांति प्राप्त होती है.
किस आयु की कन्याओं का पूजन किया जाना चाहिए :-
यह कन्या पूजन का एक महत्वपूर्ण नियम है, जिसका शास्त्रों में स्पष्ट उल्लेख है. पुजारी सुनील शास्त्री के अनुसार, नौ वर्ष तक की कन्याओं का ही पूजन किया जाना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार वे विभिन्न देवी रूपों का प्रतिनिधित्व करते हैं. इन रूपों के माध्यम से कन्याओं की पूजा की जाती है। जब लड़की 9 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेती है तो उसे विवाह योग्य मान लिया जाता है, तथा इस दौरान उसकी पूजा को मान्यता नहीं दी जाती. इसलिए नवरात्रि में 9 वर्ष से अधिक उम्र की कन्याओं का पूजन मान्य नहीं है.
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