
नई दिल्ली :- गेहूं की फसल में किसान इन दिनों पहली सिंचाई कर रहे हैं. यह अवस्था गेहूं के पौधों में कल्ले करने के लिए बेहद उपयुक्त मानी जाती है. इस समय अगर किसान कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखें तो गेहूं की फसल में अनगिनत कल्ले निकलेंगे और पूरा खेत हरा-भरा हो जाएगा. गेहूं की फसल में सिंचाई का अहम रोल रहता है. ध्यान रखें कि गेहूं की फसल में 21 से 25 दिनों तक पहली सिंचाई कर दें. ऐसा करने से गेहूं के पौधों में कल्ले तेजी के साथ निकलेंगे. सिंचाई इतनी ही करें कि खेत में पानी जमा ना हो. अगर सिंचाई ज्यादा हो भी जाए तो तत्काल जल निकासी का प्रबंध करें.
किसी भी पौधे की बढ़वार के लिए पोषक तत्वों का अहम रोल रहता है. सिंचाई के 5 से 6 दिन बाद जब खेत में नमी हो और पैर टिकने लगे तो नाइट्रोजन यानी यूरिया का छिड़काव कर दें. 1 एकड़ गेहूं की फसल में 40 से 50 किलोग्राम यूरिया का छिड़काव करें. यूरिया में पाई जाने वाली नाइट्रोजन पौधों को हरा- भरा करती है और इसके प्रभाव से तेजी के साथ कल्ले निकलने लगते हैं.
यूरिया के साथ-साथ किसान ऑर्गेनिक खाद बायोवीटा का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. किसान एक एकड़ फसल के लिए 5 किलोग्राम बायोवीटा यूरिया में मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं. बायोवीटा में सल्फर, आयरन, मैग्नीशियम, मैंगनीज, कैल्शियम, कोबाल्ट और जिंक जैसे अहम पोषक तत्व पाए जाते हैं. बायोवीटा का इस्तेमाल करने से मिट्टी में पहले से मौजूद पोषक तत्व भी सक्रिय हो जाते हैं. पौधे तेजी के साथ बढ़वार करते हैं. कल्लों की संख्या भी तेजी से बढ़ती है.
अगर किसानों को बाजार में बायोवीटा नहीं मिल रहा हो तो विकल्प के तौर पर जिंक सल्फेट, फेरस सल्फेट और मैग्नीशियम सल्फेट का इस्तेमाल कर सकते हैं. जिसके लिए किसान 500 ग्राम जिंक सल्फेट, 500 ग्राम फेरस सल्फेट और इतनी ही मात्रा में मैग्नीशियम सल्फेट का इस्तेमाल करें. तीनों ही पोषक तत्वों को 100 लीटर पानी में घोल बनाकर शाम के समय गेहूं की फसल पर छिड़काव कर दें. ऐसा करने से गेहूं के पौधों में तेजी के साथ बढ़वार होगी.
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