
हिंदू धर्म में जगन्नाथ रथ यात्रा का विशेष महत्व है और इस रथ महोत्सव के रूप में भी जाना जाता है। हर साल पुरी शहर में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है और इसमें शामिल होने के लिए देश-विदेश से लाखों लोग शामिल होते हैं। रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियों को जगन्नाथ मंदिर से बाहर निकाला जाता है और तीन विशाल रथों पर रखा जाता है।
Jagannath Rath Yatra के 3 रथों के नाम
रथ यात्रा के लिए नंदीघोष (भगवान जगन्नाथ के लिए), तालध्वज (बलभद्र के लिए), और दर्पदलन (सुभद्रा के लिए) के नाम से जाने जाने वाले इन रथों को खूबसूरती से सजाया जाता है और भक्तों द्वारा पुरी की सड़कों से खींचा जाता है। रथयात्रा करीब 3 किलोमीटर की दूरी तय करता है और गुंडिचा मंदिर पर समाप्त होता है, जहां भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा 9 दिनों तक रहते हैं।
हर साल कब निकलती है जगन्नाथ रथ यात्रा
हर साल आषाढ़ मास (जून-जुलाई) में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को रथ यात्रा निकाली जाती है। Jagannath Rath Yatra के रथ की ऊंचाई करीब 45 फीट ऊंची है और इस रथ का नाम नंदीघोष है, जबकि भगवान बलभद्र का रथ 14 पहियों वाला 45.6 फीट ऊंचा है और इसका नाम तालध्वज है। माता सुभद्रा के रथ का नाम देवदलन कहा जाता है और इसमें 12 पहिए हैं और यह रथ भी करीब 44.6 फीट ऊंचा है।
इस कब निकलेगी Rath Yatra
इस साल Jagannath Rath Yatra 2023 20 जून को रात 22:04 बजे शुरू होगी और रथ यात्रा की समाप्ति 21 जून को रात 19:09 बजे होगी। पौराणिक मान्यता है कि रथ यात्रा में हिस्सा लेने वाले भक्तों को सौभाग्य और आशीर्वाद मिलता है।
Jagannath Rath Yatra में ये हैं प्रमुख रस्में
रथ यात्रा रास्ते में कई जगहों पर रुकते हुए जाती है। जहां देवता भक्तों को दर्शन देते हैं। रास्ते में भक्त फल, मिठाई और फूल जैसी चीजें भेंट करते हैं। रथ यात्रा को गुंडिचा मंदिर तक पहुंचने में 1 दिन लगता है और देवता यहां 7 दिनों तक रहते हैं। Jagannath Rath Yatra जब वापस आती है तो इस बहुदा यात्रा कहा जाता है। इस यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ का रथ मौसी मां मंदिर (देवता की चाची) में रुकता है। इस रथ यात्रा में शामिल होने वाले व्यक्ति को पहले खुद की शुद्धि करनी होती है और महोदधि की पवित्र नदी में डुबकी लगाते हैं।