
नई दिल्ली :- क्या आप जानते हैं कि आपका पसंदीदा स्नैक समोसा भारत नहीं बल्कि विदेशी धरती की देन है? जी हां यह सुनकर आपको आश्चर्य हो सकता है मगर हकीकत यही है कि भारत में नाश्ते का सबसे लोकप्रिय विकल्प माना जाने वाला समोसा दरअसल मध्य पूर्व का मेहमान है। आइए इस आर्टिकल में आपको इसकी दिलचस्प कहानी…
बेहद दिलचस्प है समोसे का इतिहास, मध्य पूर्व से होते हुए भारत आया ये खास व्यंजन देखा जाए तो, भारत में हर 100 किलोमीटर पर समोसे का स्वाद बदल जाता है।दिल्ली के सुल्तान मोहम्मद बिन तुगलक को समोसा खाना बेहद पसंद था।जानकारी के मुताबिक, समोसा 13वीं से 14वीं शताब्दी के बीच भारत आया था।
यह कुरकुरा, स्वादिष्ट और हर जगह आसानी से मिल जाने वाला समोसा भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में बेहद लोकप्रिय है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह स्वादिष्ट व्यंजन असल में हिंदुस्तानी नहीं है? जी हां, 13वीं से 14वीं शताब्दी के बीच भारत की जमीन पर आए समोसे ने यहां के लोगों की जुबान पर कुछ ऐसा कब्जा किया कि देखते ही देखते ये लोगों के चाय-नाश्ते का साथी बन गया। आज भी जब घर पर मेहमान आए, तो हर किसी के दिमाग में सबसे पहला ख्याल समोसा सर्व करने का ही आता है। आइए विस्तार से जानते हैं इस चटपटे और स्वादिष्ट व्यंजन का दिलचस्प इतिहास।
मध्य पूर्व से भारत का सफरसमोसा शब्द फारसी शब्द ‘सम्मोकसा’ से लिया गया है। माना जाता है कि इसकी उत्पत्ति 10वीं शताब्दी से पहले मध्य पूर्व में हुई थी। ईरानी व्यंजन ‘संबुश्क’ (sanbusak) से प्रेरित होकर, भारत में इसका रूपांतरण ‘समोसा’ में हुआ। कई जगहों पर इसे Sambusa या samusa भी कहा जाता था।
बिहार और पश्चिम बंगाल में तो इसे पानी के फल सिंघाड़ा से मिलता-जुलता दिखने के कारण ‘सिंघाड़ा’ भी कहा जाता है।इसके तिकोने आकार के पीछे कोई खास वजह तो नहीं है, लेकिन मुमकिन है कि यह मध्य पूर्वी खासतौर से ईरान की संस्कृति से प्रभावित हो। 11वीं सदी के इतिहासकार अबुल-फजल बेहाकी ने अपनी रचनाओं में पहली बार इस तरह के नमकीन व्यंजन का जिक्र किया है, जिसमें कीमा और मावे की फिलिंग होती थी। यह इस बात का संकेत है कि समोसे जैसे व्यंजन मध्य पूर्व में काफी समय से लोकप्रिय थे।