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नई दिल्ली :- इन दिनों पवित्र सावन माह चल रहा है। शिव पूजा के लिए मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है और महादेव के विशेष अनुष्ठान किए जा रहे हैं। शिव पूजा के दौरान भांग धतूरे का विशेष महत्व है। यहां आपको बताते हैं भगवान शिव पर भांग धतूरा क्यों चढ़ाया जाता है और इसका क्या महत्व है।
ये है पौराणिक कथा :-
हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार, जब अमृत प्राप्ति के लिए देवताओं और दानवों द्वारा समुद्र मंथन किया गया था, तो उसमें से 14 रत्न निकले थे। जो अलग-अलग देवताओं को दिए गए थे। इन्हीं रत्नों में से एक हलाहल यानी विष भी था, जो अत्यंत प्रभावशाली था। मान्यता है कि इस विष के प्रभाव के कारण दसों दिशाएं जलने लगी थी। ऐसे में धरती को इस संकट से उबारने के लिए भगवान शिव ने हलाहल को पिया और इसे अपने कंठ में धारण कर लिया था।
अचेत हो गए थे महादेव :-
कहा जाता है इस विष के प्रभाव के कारण भगवान शिव अचेत हो गए थे और उनका शरीर गर्म हो गया। विष के इस असर से मुक्ति दिलाने के लिए उनके सिर पर भांग और धतूरा रखा गया था, जिससे उन्हें ठंडक मिली और विष का प्रभाव खत्म हो गया था। इसके बाद से ही शिवलिंग को भांग-धतूरा चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है।नीलकंठ कहलाए भगवान शिव मान्यता के अनुसार, हलाहल को कंठ में धारण करने के बाद भगवान शिव का गया नीला पड़ गया था। इसके कारण महादेव को नीलकंठ भी कहा जाता है।
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