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नई दिल्ली :- श्रम मंत्रालय ने सोमवार को सिटीग्रुप की हाल में आई उस रिपोर्ट को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि भारत को 7 प्रतिशत की वृद्धि दर होने पर भी रोजगार के समुचित अवसर पैदा करने के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है. मंत्रालय ने बयान में कहा कि इस रिपोर्ट को तैयार करते समय ‘आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण और भारतीय रिजर्व बैंक के केएलईएमएस डेटा जैसे आधिकारिक स्रोतों से उपलब्ध रोजगार आंकड़ों को ध्यान में नहीं रखा गया है.
आरबीआई का केएलईएमएस डेटा उत्पादन में पांच प्रमुख बिंदुओं- पूंजी, श्रम, ऊर्जा, सामग्री और सेवाओं के बारे में जानकारी मुहैया कराता है. श्रम और रोजगार मंत्रालय ने बयान में कहा कि वह ऐसी रिपोर्ट का दृढ़ता से खंडन करता है जो सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सभी आधिकारिक आंकड़ों का विश्लेषण नहीं करती हैं. पीएलएफएस और आरबीआई के केएलईएमएस आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने 2017-18 से लेकर 2021-22 के दौरान 8 करोड़ से अधिक रोजगार के अवसर पैदा किए. इस तरह प्रति वर्ष औसतन दो करोड़ से अधिक रोजगार पैदा हुए और 2020-21 के दौरान कोविड-19 महामारी के आर्थिक दुष्प्रभावों के बावजूद ऐसा देखने को मिला.
क्या कहती है सिटी ग्रुप की रिपोर्ट :-
सिटीग्रुप ने भारत में रोजगार के बारे में हाल में जारी एक रिपोर्ट में अनुमान जताया है कि 7 प्रतिशत की दर से वृद्धि करने पर भी भारत को रोजगार के पर्याप्त अवसर मुहैया कराने में समस्या पेश आ सकती है. रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत को अगले एक दशक में लेबर मार्केट में आने वाले नए लोगों के लिए 1.2 करोड़ रोजगार के अवसर प्रति वर्ष बनाने होंगे. बकौल रिपोर्ट, लेकिन भारत अगर 7 प्रतिशत की दर से वृद्धि करता है तब भी हर साल केवल 80-90 लाख रोजगार के अवसर ही पैदा हो पाएंगे. कुछ प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया संस्थानों ने इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए खबरें जारी की हैं
श्रमबल से ज्यादा रोजगार :-
श्रम मंत्रालय ने पीएलएफएस के आंकड़ों का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले पांच वर्षों के दौरान श्रमबल का हिस्सा बनने वाले लोगों की तुलना में रोजगार के अधिक अवसर पैदा हुए हैं जिससे बेरोजगारी दर में लगातार गिरावट आई है. यह रोजगार पर सरकारी नीतियों के सकारात्मक प्रभाव का स्पष्ट संकेत देता है. बयान के मुताबिक, सिटीग्रुप की रिपोर्ट के उलट आधिकारिक आंकड़े भारतीय नौकरी बाजार की अधिक आशावादी तस्वीर दिखाते हैं. मंत्रालय ने कहा कि कारोबार सुगमता, कौशल विकास को बढ़ाने और सार्वजनिक एवं निजी दोनों क्षेत्रों में रोजगार सृजन के सरकारी प्रयासों से औपचारिक क्षेत्र के रोजगार को भी बढ़ावा मिल रहा है.
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