
नई दिल्ली (कृषि सलाह):- धान झारखंड की सबसे महत्वपूर्ण फसल है. यहां मुख्य रूप से सभी किसान इसकी खेती करते हैं. लेकिन कई बार उपजाऊ जमीन, पर्याप्त सिंचाई और संसाधनों की कमी से किसानों की कड़ी मेहनत के बावजूद बेहतर उपज हासिल नहीं हो पाती है. इस समस्या को देखते हुए बोकारो जिला कृषि पदाधिकारी उमेश तिर्की ने किसानों को श्री विधि से धान की खेती करने की सलाह दी है. बताया कि इस विधि से खेती करने पर किसान भाई कम लागत में अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं. साथ ही 30% से 40% पानी की बचत भी होती है. कम संसाधन में जल्दी गुणवत्तापूर्ण फसल तैयार कर सकते हैं.
कृषि पदाधिकारी उमेश तिर्की ने लोकल18 को बताया कि श्री विधि से धान की खेती करने से पहले किसान भाई को भूमि का चुनाव, जल निकासी, सिंचाई की सुविधा पर ध्यान देना चाहिए. अधिक जलजमाव वाले स्थान पर खेती से बचना चाहिए. अपनी सुविधा अनुसार एक बार मिट्टी की जांच जरूर करानी चाहिए, ताकि खेत के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी मिल सके.
बीज का चयन :-
झारखंड में आम तौर पर सहभागी, करहैनी, भटकूं जैसी धान की पारंपरिक किस्मों की खेती होती है. लेकिन श्री विधि खेती के लिए संकर धान, एराईज, विरासमती धान बेहतर माना जाता है. इस खेती में किसान 5 किलो बीज में 1 हेक्टेयर भूमि में रोपनी कर सकते हैं. इसके लिए बीज को 12 घंटे पानी में भिंगोकर 24 घंटे के लिए जूट के बोरा में बांधकर छायादार जगह में रखना चाहिए. अंकुरित होने के बाद बुवाई करना चाहिए.
बिचड़ा तैयार करने की प्रक्रिया :-
लोकल18 से बातचीत में कृषि पदाधिकारी उमेश तिर्की ने बताया कि एक हेक्टेयर खेत की रोपनी के लिए 250 वर्ग मीटर के नर्सरी की जरूरत होती है. इसे खेत के आसपास तैयार करना चाहिए. क्यारियों को जमीन से 12-15 सेमी ऊंचा रखना चाहिए. जल निकास के लिए दो-दो मीटर की दूरी पर नाले तैयार करना चाहिए और तैयार खेत में रोपाई के दौरान पौधे की दूरी 25 X 25 सेमी रखना चाहिए.
खेत का जल प्रबंधन :-
धान की खेती के लिए जरूरी है कि किसान अपने खेत की मिट्टी में नमी बनाए रखें और कल्ला अवस्था तक पानी का जमाव नहीं होने दें. धान में फूल आने के बाद 2 से 3 सेंटीमीटर पानी बनाए रखें और कटनी के 10 से 15 दिन पहले खेत से पानी निकाल दें. फसल तैयार होने के बाद जैविक खाद (10 टन प्रति हेक्टेयर) डाल सकते हैं. फसल को कीटों से बचाने के लिए कीटनाशी कार्बोफुरॉन (3 किलो प्रति हेक्टेयर) का उपयोग करना चाहिए. श्री विधि से किसान 100 से 120 दिन के अंदर बेहतर क्वालिटी के धान का उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं.
जुड़िये प्रदेश के सबसे तेज न्यूज़ नेटवर्क से 👇🏻
https://chat.whatsapp.com/HjkV5Kqy2MoKMVdSPufHlm