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* प्रदेश में भाजपा सरकार के पास जनहित की कोई नई योजना नहीं
महासमुंद। पूर्व संसदीय सचिव व महासमुंद के पूर्व विधायक विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने कहा कि प्रदेश में भाजपा सरकार के पास जनहित की कोई नई योजना नहीं है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में बनी योजनाओं का नाम बदलकर पेश किया जा रहा है। नाम बदलने में माहिर भाजपा सरकार ने गोठान योजना को बंद कर गाै वंश अभयारण्य बनाने की तैयारी की है।
श्री चंद्राकर ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस शासन काल में भूपेश बघेल सरकार ने महत्वाकांक्षी ‘नरवा-गरवा-घुरवा-बारी’ योजना के तहत गांव-गांव में गोठान खुलवाए। इसके तहत गांवों में आवारा और पालतू मवेशियों के रख-रखाव का केंद्र बनाया गया। इसे ग्रामीणों की आजीविका से भी जोड़ा गया। गोठान में ग्रामीणों के पालतू मवेशियों को हर रोज एक निश्चित समय तक रखा जाता, ताकि वे खुले में घूमकर फसलों को नुकसान न पहुंचाएं और उनके चलते दुर्घटनाएं न हों। साथ ही आवारा और स्वामी विहीन मवेशियों को भी इस गोठान में रखा जाता था। इसके अलावा सरकार ने गोबर खरीदी योजना भी चलाई और गोबर से खाद बनाकर उसे किसानों को बेचने का कार्य भी शुरू किया। महिला समूहों को काम मिला।
श्री चंद्राकर ने कहा कि भाजपा सरकार के पास गौ सेवा के लिये कोई प्लानिंग नहीं है। कांग्रेस सरकार में गावों में गौठान बनाकर सरकारी जमीन को संरक्षित किया गया। गोठान में परंपरागत व्यवसाय को शुरू किया गया। महिला स्वसहायता समूह दो रुपए किलों में गोबर, 4 रू में गौ मूत्र खरीदी करते थे। गौठान से वर्मी कम्पोस्ट एवं अन्य उत्पाद बनाये जाते थे, जो पांच माह से बंद है, अब नाम बदलकर उस योजना को फिर शुरू किया जा रहा है। गौठान ऐसी योजना थी जहां ग्रामवासियों को जोड़कर गोवंश का संरक्षण किया जाता था। इस योजना में गोवंश के साथ महिला समूहों के भी आर्थिक उन्नति का मार्ग खुला था। गोधन न्याय योजना में हर आदमी का फायदा था, पशुपालक, चरवाहे गोबर बेचकर मुनाफा कमा रहे थे। साथ ही गायों का संरक्षण होता था और गायों को दाना, पानी मिलता था। सरकार बदलने पर राजनैतिक द्वेष के कारण भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इस योजना को बंद किया। श्री चंद्राकर ने कहा कि अभयारण्य जंगलों में होता है, तो क्या साय सरकार गांव के मवेशियों को जंगलों में रखेंगे। हर गांव, में कितने अभयारण्य बनाएंगे। इस योजना से कोई लाभ नहीं मिलने वाला।