
यूरिक एसिड चार्ट :- यूरिक एसिड बढ़ने की परेशानी इन दिनों आम हो गई है और बड़ी संख्या में हर उम्र के लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं. यूरिक एसिड को लेकर जागरुकता बढ़ रही है और लोग इस बारे में सही जानकारी हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं.ये हमारे शरीर में बनने वाला एक प्रोडक्ट होता है, जिसकी मात्रा सामान्य से ज्यादा हो जाए तो यह हमारे हाथ और पैरों के छोटे जॉइंट्स में जमा होने लगता है. इसकी वजह से गाउट और किडनी स्टोन समेत कई गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं. आमतौर पर लोग यूरिक एसिड की समस्या को नजरअंदाज करते रहते हैं और इसकी वजह से यह खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है. आज आपको बताएंगे कि महिला और पुरुषों के शरीर में कितना यूरिक एसिड होना चाहिए. इसके अलावा यह भी बताएंगे कब इसका लेवल खतरे की घंटी हो सकता है.
यूरिक एसिड हमारे लिवर में बनने वाला प्रोडक्ट है, जो किडनी से होते हुए यूरिन के रास्ते बाहर निकल जाता है. महिला और पुरुषों के यूरिक एसिड की नार्मल रेंज थोड़ी अलग होती है. वयस्क महिलाओं का यूरिक एसिड लेवल 2.5 से 6 mg/dL के बीच हो, तो नॉर्मल माना जाता है. दूसरी तरफ वयस्क पुरुषों का यूरिक एसिड लेवल 3.5 से 7 mg/dL तक नॉर्मल माना जाता है. हालांकि अलग-अलग टेस्ट में यूरिक एसिड मापने करने का तरीका अलग होता है. हर टेस्ट में यूरिक एसिड के लेवल में थोड़ा बहुत अंतर हो सकता है.
डॉक्टर अमरेंद्र पाठक ने बताया कि अगर किसी पुरुष का यूरिक एसिड 7mg/dL से ज्यादा हो जाए, तो इसे हाइपरयूरिसेमिया कहा जाता है. जबकि महिलाओं के मामले में यूरिक एसिड 6mg.dL से ज्यादा हो जाए, तो इसे हाई माना जा सकता है. इस कंडीशन में लोगों को यूरिक एसिड कंट्रोल करने की जरूरत होती है. अगर यूरिक एसिड का लेवल 9-10 को पार कर जाए, तो तुरंत यूरोलॉजिस्ट से मिलना चाहिए, क्योंकि यह स्तर खतरनाक हो सकता है और इससे गाउट की समस्या पैदा हो सकती है. यूरिक एसिड को भले ही लोग सीरियसली नहीं लेते हैं, लेकिन हद से ज्यादा बढ़ने पर यह जानलेवा भी साबित हो सकता है.
अब सवाल उठता है कि यूरिक एसिड लेवल का पता लगाने के लिए कौन सा टेस्ट कराना चाहिए? इस पर यूरोलॉजिस्ट का कहना है कि यूरिक एसिड का लेवल आप ड टेस्ट के जरिए पता कर सकते हैं. लिवर फंक्शन टेस्ट में भी यूरिक एसिड का पता लग जाता है. इतना ही नहीं, यूरिन टेस्ट से भी आप यूरिक एसिड लेवल जांच सकते हैं. कई टेस्ट होते हैं, जिनमें यूरिक एसिड का पता लगता है और लोगों को साल में कम से कम एक बार इसका टेस्ट जरूर कराना चाहिए, ताकि इसे बढ़ने से रोका जा सके.
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