
नई दिल्ली :- धरती से हाल ही में रहस्यमयी लेजर बीम के टकराने के बाद वैज्ञानिकों के एक खेमे में खुशी की लहर देखने को मिली थी. साइंटिस्ट्स को शुरुआत में लगा था कि लगभग 10 मिलियन मील दूर से कहीं यह एलियन तो नहीं है पर बाद में जब और गहराई से इसका पता लगाया गया तो असल कहानी कुछ और ही निकली. आइए, जानते हैं इस बारे में। इंग्लिश वेबसाइट ‘ईटी’ की रिपोर्ट के मुताबिक, यह लेजर बीम अमेरिकी स्पेस रिसर्च एजेंसी नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन के स्पेसक्राफ्ट सायकेसे निकली थी, जो कि इंफ्रारेड लेजर जैसी थी।
नासा के स्पेसक्राफ्ट से निकलने के बाद इसे सैन डिएगो काउंटी में कैल्टेक पालोमर ऑब्जर्वेट्री के हेल टेलिस्कोप भेजा गया था. नासा ने इसे ‘फर्स्ट लाइट’ नाम दिया, जो कि 14 नवंबर, 2023 को ट्रांसमिट हुई थी. ‘सायके’ का लेजर ट्रांससीवर ऐसा इंस्ट्रूमेंट (यंत्र) है, जो कि इंफ्रारेड सिग्नल्स को भेजने और रिसीव करने में सक्षम होता है. अमेरिकी स्पेस एजेंसी के बयान के मुताबिक, फर्स्ट लाइट समूचे सोलर सिस्टम में ट्रांसमिट किए जा सकने वाले डेटा की मात्रा को बढ़ाने की ओर अहम कदम है.
नासा की डायरेक्टर ऑफ टेक्नोलॉजी डिमॉन्सट्रेशंस ट्रूडी कोर्ट्स ने अमेरिकी टीवी चैनल ‘फॉक्स न्यूज’ को बताया- फर्स्ट लाइट को हासिल करना आने वाले महीनों में अहम मील के पत्थरों में से एक है. ट्रूडी कोर्ट्स की मानें तो यह अधिक डेटा रेट वाले कम्युनिकेशन के लिए आगे के रास्ते खोलेगा, जो कि विज्ञान से जुड़ी सूचनाएं मुहैया कराएगा. यूएस की स्पेस एजेंसी के अनुसार, यह फर्स्ट लाइट आने वाले समय में इंसानी और रोबोटों से जुड़े खोजी मिशंस में मदद करेगी. यह इसके साथ ही हाई रेज्योल्यूशन वाले वैज्ञानिक उपकरणों को भी सपोर्ट करेगी.