
नयी दिल्ली.मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने आज पशु महामारी तैयारी पहल और विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित ‘एक स्वास्थ्य के लिए पशु स्वास्थ्य प्रणाली सहायता’ का शुभारंभ किया।
इससे भारत की तैयारियों और एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण के अनुरुप संभावित पशु महामारी की प्रतिक्रिया को बढ़ावा दिया जा सकेगा । इस पहल का उद्देश्य पशु महामारियों के लिए भारत की तैयारी और प्रतिक्रिया को बढ़ावा देना है, जिसमें पशुजन्य बीमारियों पर ध्यान केंद्रित किया गया है जो कि पशु और मानव स्वास्थ्य दोनों के लिए खतरा उत्पन्न करते हैं। यह पहल पशु चिकित्सा सेवाओं और अवसंरचना, रोग निगरानी क्षमताओं, प्रारंभिक पहचान और प्रतिक्रिया में सुधार, पशु स्वास्थ्य पेशेवरों में क्षमता निर्माण और सामुदायिक आउटरीच के माध्यम से किसानों के बीच जागरूकता उत्पन्न करने में सहायता प्रदान करेगी।
इस आयोजन में विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित ‘एक स्वास्थ्य के लिए पशु स्वास्थ्य प्रणाली सहायता (एएचएसएसओएच)’ का भी शुभारंभ किया गया, जिसका उद्देश्य भारत के पांच राज्यों को कवर करने वाले एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण का उपयोग करके बेहतर पशु स्वास्थ्य प्रबंधन प्रणाली के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है।
इस अवसर पर श्री रूपाला ने कहा, “भारत में विविध पशु प्रजाति निवास करते हैं और पशुधन क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था और खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, हम उभरती और पशुजन्य बीमारियों से उत्पन्न खतरों के प्रति भी संवेदनशील हैं। पशु महामारी तैयारी पहल हमारे पशु संसाधनों की रक्षा करने और हमारे देशवासियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए एक सक्रिय कदम है। पशु महामारी तैयारी पहल और विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित ‘एक स्वास्थ्य के लिए पशु स्वास्थ्य प्रणाली सहायता’ समग्र रूप से पशु महामारियों को संबोधित करने की व्यापक कोशिश है। हम अपनी पशु स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करके और एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण को लागू करके, पशुजन्य रोगों को बेहतर तरीके से रोक सकते हैं और उसे नियंत्रित कर सकते हैं, जो न केवल हमारे जानवरों के स्वास्थ्य और कल्याण को प्रभावित करते हैं, बल्कि महत्वपूर्ण आर्थिक प्रभाव डालते हैं और मानव स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को भी प्रभावित करते हैं।”
इस अवसर पर पशुपालन और डेयरी के सचिव राजेश कुमार सिंह ने कहा,“किसी भी महामारी जैसी आपात स्थिति से निपटने हेतु प्रणाली तैयार करने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए, विभिन्न कार्यों का समन्वय किया जाना जरूरी है, जिसमें बीमारी की निगरानी को मजबूत करना, रोग पूर्वसूचना के लिए मॉडल तैयार करना, अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण और नैदानिक क्षमताओं में सुधार करना, नियामक पारिस्थितिकी तंत्र को सुव्यवस्थित करना, क्षेत्र में बेहतर प्रतिक्रिया प्रदान करना और संसाधन जुटाना शामिल है। डीएएचडी ने देश में पशुधन प्रणालियों और कार्यक्रमों में सुधार लाने के लिए महत्वपूर्ण बदलाव शुरू किया है। पशु महामारी तैयारी पहल या एपीपीआई, रोग की रोकथाम, नियंत्रण और महामारी की तैयारी के सभी पहलुओं को व्यापक रूप से कवर करने के लिए एक ऐसी ही पहल है। प्रमुख तत्वों में एकीकृत रोग निरीक्षण और निगरानी, प्रारंभिक चेतावनी और प्रतिक्रिया, वैक्सीन/निदान, अनुसंधान एवं विकास और उत्पादन और वित्त पोषण और नियामक संरचना को सक्षम बनाने वालों के साथ पारिस्थितिकी तंत्र का समन्वय शामिल है।”