
खेती के लिए डीएसआर तकनीक :- धान की खेती करने के लिए डीएसआर विधि काफी अच्छी होती है. दरअसल डीएसआर तकनीक से धान की खेती में होने वाले लाभ और नुकसान को लेकर एक अध्ययन किया गया. धान की खेती में बढ़ती लागत चिंता का विषय बनी हुई है. मजदूर न मिलने से धान की रोपाई में बहुत परेशानी होती है. वहीं धान की खेती करने में किसानों को कई तरह के कार्य करने होते हैं. मसलन, धान की खेती के लिए नर्सरी तैयार करना, रोपाई करना, रोपाई के खेत की तैयारी जैसे काम करने होते हैं, जो किसानों की लागत को बढ़ाते ही हैं साथ ही उनका समय भी खराब करते हैं.ऐसे में किसान धान की सीधी बुवाई में कम लागत से अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. डीएसआर धान की रोपाई की एक ऐसी तकनीक है जिसमें मैन्युअली या मशीनों के माध्यम से धान को सीधे मिट्टी में लगाया जाता है. इस तकनीक में किसानों को पहले नर्सरी में पौधों को उगाने की और फिर उसे खेत में रोपाई करने की जरूरत नहीं होती है. इन दोनों की स्थिति में पूरी तरह से खेत में पानी भरे होने की आवश्यकता होती है. इससे अलग डीएसआर विधि कई वर्षों से प्रचलन में है पर भारत के प्रमुख धान उत्पादक क्षेत्रों में इस विधि ने लोकप्रियता हासिल नहीं की है.

अध्ययन में हुआ DSR तकनीकी का खुलासा :-
डीएसआर तकनीक से होने वाले फायदे को लेकर किए गए इस अध्ययन में लगभग 325 किसानों ने भाग लिया जबकि 161 उन किसानों को शामिल किया गया जो पारंपरिक गीली तकनीक से धान की रोपाई करते हैं. अध्ययन से पता चलता है कि डीएसआर विधि के तहत धान की खेती करने से पारंपरिक पोखर विधि से कम पैदावार नहीं होती है. इस विधि में धान की पैदावार पर्यावरण, मिट्टी के अलावा किसान किस तरह से खेती कर कर रहे हैं, इस पर भी निर्भर करता है.