
Health (विटामिन डी) :- आज के समय में शरीर में विटामिन डी की कमी एक आम बात हो गई है. विटामिन डी की कमी होने पर शरीर में कई तरह की परेशानियां होने लगती हैं. घुटनों और कमर में दर्द की समस्या हो जाती है. कई मामलों में लोगों को न्यूरोलॉजिकल यानी दिमाग से जुड़ी परेशानी भी होने लगती है. बाल भी झड़ने लगते हैं. जब इन परेशानियां के साथ लोग डॉक्टर के पास जाते हैं तो डॉक्टर विटामिन डी का टेस्ट कराते हैं. अगर शरीर में विटामिन डी की कमी मिलती है, तो दवा खाने की सलाह देते हैं, या इंजेक्शन लगाते हैं. जिससे शरीर में विटामिन की कमी पूरी हो जाती है.
डॉक्टर सलाह देते हैं कि वह हर 6 महीने या फिर साल में एक बाद फिर टेस्ट करा लें. अगर विटामिन कम मिलता है तो दवा खा लें, लेकिन अधिकतर लोग इस सलाह पर ध्यान नहीं देते हैं. कई मामलों में देखा जाता है कि व्यक्ति 6 महीने या साल में एक बार भी टेस्ट ही नहीं कराता और खुद की कुछ महीनों बाद विटामिन डी की दवा खाने लगता है. कुछ लोग तो हर रोज की मेडिसिन खाने लगते हैं. भले ही उनको यह जानकारी न हो कि विटामिन का लेवल कम हुआ भी है या नहीं हुआ है. लगातार सेवन से दवा की ओवरडोज हो जाती है, जिससे शरीर में कई तरह की परेशानियां होने लगती हैं.
विटामिन डी को ज्यादा लेने से हाइपरविटामिनोसिस डी की समस्या हो जाती है. इस वजह से शरीर में कमजोरी और यूरिन का ज्यादा आने जैसी परेशानी होती है. अगर यूरिन ज्यादा आने की समस्या लगातार बनी हुई है तो इसका सीधा असर आपकी किडनी पर पड़ता है. ओवरडोज से किडनी में कैल्शियम स्टोन बनने की परेशानी हो जाती है. इसके साथ की कई अन्य अंगों पर भी असर होता है. कितना होना चाहिए विटामिन डी डॉक्टर के अनुसार शरीर में विटामिन डी के स्तर की कोई सटीक पैमाना नहीं है. यह व्यक्ति की उम्र और उसकी शारीरिक स्थिति पर निर्भर करता है. हालांकि अगर किसी व्यक्ति में विटामिन डी का स्तर 20 नैनोमोल्स/लीटर से कम है तो उसे इसके लिए डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. दवाओं या सप्लीमेंट डॉक्टर के सुझाव के बाद ही लिया जाना चाहिए.