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राजधानी रायपुर स्थित श्री दूधाधारी मठ में बड़े ही श्रद्धा भक्ति पूर्वक होली उत्सव का त्यौहार मनाया गया। यहां होली उत्सव मनाने की प्राचीन कालीन परंपराएं हैं। जिसका निर्वाह प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी किया गया। रात्रि 11:30 बजे मठ के सामने निर्मित होली का वैदिक मंत्रोच्चार के साथ विधिवत पूजा अर्चना करके होलिका दहन पीठाधीश्वर राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज के द्वारा बड़ी संख्या में उपस्थित लोगों के समक्ष किया गया।
उपस्थित जन समूह ने परिक्रमा करके एक -दूसरे को रंग गुलाल लगाकर साथ ही राजेश्री महन्त जी महाराज से आशीर्वाद प्राप्त कर होली मनाया। सुबह भगवान का श्रृंगार करके ढोल नगाड़ों के साथ मंगल श्रृंगार आरती संपन्न हुआ। दोपहर में भगवान के साथ रंगोत्सव मनाया गया, भगवान को रंग गुलाल अर्पित करके पूजा अर्चना की गई। राजेश्री महन्त जी महाराज ने अपने संदेश में कहा कि- होली का उत्सव असत्य पर सत्य की तथा अहंकार पर भक्ति की विजय का प्रतीक है। भक्त प्रहलाद को हिरण्यकशिपु ने बहुत त्रास दिया उन्हें होली की प्रज्वलित अग्नि में भी बिठाया गया, लेकिन भगवान श्री हरि के नाम का जाप करते हुए भक्त प्रहलाद ने भगवान का प्रत्यक्ष दर्शन किया।
श्री रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज ने लिखा है कि- सहे सुरन्ह बहु काल विषादा। नरहरि प्रकट किए प्रहलादा।। उन्होंने लोगों को होली के उत्सव का शुभकामनाओं के साथ बधाई दी। मठ मंदिर के पुजारीयों तथा विद्यार्थियों ने भी नगाड़े बजाकर खूब उत्सव मनाया। राजेश्री महन्त जी ने पुरानी बस्ती रायपुर स्थित जैतुसाव मठ पहुंचकर भी पूजा अर्चना का कार्यक्रम संपन्न किया।