
पिछले 10 साल से केंद्र की सत्ता से बाहर कांग्रेस वापसी के लिए बेकरार है। चुनाव तारीखों के ऐलान के साथ ही वो मिशन कमबैक में जुट गई है। कांग्रेस इसके लिए खास घोषणापत्र बनाने में जुटी है। जिसकी चर्चा मंगलवार को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में हुई। कांग्रेस को उम्मीद है कि पार्टी का घोषणापत्र गेम चेंजर साबित होगा। आखिर वो कौन से मुद्दे या वादें हैं, जो कांग्रेस इस बार अपने घोषणापत्र में फोकस कर सकती है। कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक के बाद सचिन पायलट ने कांग्रेस की रणनीति साफ कर दी, यानी मोदी की गांरंटी की काट के लिए कांग्रेस इस बार राहुल की गारंटी के साथ चुनावी मैदान में उतरेगी, लेकिन बीजेपी के विजय रथ को रोकने उसके तरकश में बेरोजगार, महिला, किसान और नौजवान जैसे हथियार भी होंगे। अंतिम रूप देने कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में चर्चा हुई। इसके साथ घोषणा पत्र में कौन-कौन से मुद्दे शामिल होंगे, इस पर भी मंथन हुआ।
ये मुद्दे घोषणा पत्र में हो सकते हैं शामिल :-
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस जिन कोर इश्यू को चुनावी वादा बना सकती है, उनमें बेरोजगारों के लिए रोजगार का अधिकार, देश भर में पुरानी पेंशन स्कीम का दावा, गरीब महिलाओँ को सालाना 1 लाख रुपए, जांच एजेंसियों को लेकर कानून में बदलाव, सच्चर समिति की सिफारिशों का जिक्र, जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देना, लद्दाख को विशेष राज्य का दर्जा, जातिगत जनगणना और जिसकी जितनी संख्या उस आधार पर आरक्षण का वादा, रेलवे के किराए में कटौती, बुजुर्गों को रियायत की वापसी का वादा शामिल कर सकती है।
कांग्रेस ने एक्स पर लिखी ये बात :-
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में घोषणापत्र पर मंथन के बाद कांग्रेस ने अपने ऑफिशियल X हैंडल पर भी इसकी जानकारी देते हुए लिखा कि युवा न्याय, नारी न्याय, किसान न्याय, श्रमिक न्याय, हिस्सेदारी न्याय, इन पांच न्याय स्तंभों के तहत कांग्रेस ने कुल 25 गारंटियां दी हैं, जो देश को बीजेपी के अन्याय काल से मुक्ति दिलाएंगी। हमें एकजुट होकर अपने घोषणापत्र को देश के हर घर तक पहुंचाना है, और जनता को न्याय दिलाना है।
राहुल गांधी ने इन मुद्दों पर फोकस :-
इससे पहले राहुल गांधी भी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान सिर्फ बेरोजगारों, किसानों पर फोकस किया। दरअसल राहुल गांधी और कांग्रेस जानते हैं कि इन दो वर्गों की मोदी सरकार से नाराजगी का सीधा फायदा इंडिया गठबंधन को मिल सकता है। लिहाजा ना सिर्फ कांग्रेस और राहुल गांधी बल्कि इंडी गठबंधन के तमाम घटक दल किसानों, बेरोजगारों, महिलाओं, पिछड़ा और आदिवासी वर्ग को लेकर सियासी माइलेज लेने की कोशिश कर रहे हैं।