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कल यानी 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना पहला अंतरिम बजट पेश करने वाली हैं। वहीं, नरेंद्र मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल का यह दूसरा अंतरिम बजट है। दरअसल, सामान्य बजट के लिए पर्याप्त समय नहीं होने या चुनाव जल्द ही होने की वजह से सरकार अंतरिम बजट पेश करती है।
कब तक खर्च करने की इजाजत
इस बजट के जरिए सरकार को तब तक खर्च करने की इजाजत मिलती है जब तक कि नई सरकार पूर्ण बजट पारित नहीं कर देती। इसके साथ ही अंतरिम बजट के जरिए नई सरकार को पूर्ण बजट पर निर्णय लेने की भी अनुमति मिलती है। चुनाव नतीजों के बाद किसी वजह से सरकार समय पर पूर्ण बजट पेश नहीं कर पाती है, तो उसे खर्च के लिए सदन की मंजूरी लेनी होती है।
नए ऐलान की इजाजत
अंतरिम बजट में सरकार नए ऐलान करने के लिए स्वतंत्र है। उदाहरण के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने पहले अंतरिम बजट यानी 2019 में पीएम-किसान सम्मान निधि स्कीम का ऐलान किया था। इसके अलावा टैक्स छूट और स्टैंडर्ड डिडक्शन पर भी अहम फैसले लिए गए। कहने का मतलब है कि मोदी सरकार का पहला अंतरिम बजट लोकलुभावन था और इसके जरिए एक नए लाभार्थी वर्ग को साधने की कोशिश की गई। इसी तरह, अब मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में भी लोकलुभावन बजट की उम्मीद की जा सकती है। हालांकि, नई सरकार पूर्ण बजट पेश करते समय अंतरिम बजट के फैसलों को बदलने के लिए स्वतंत्र है।
अरुण जेटली नहीं पेश कर सके थे अंतरिम बजट
मोदी सरकार के 2014 में सत्ता में आने के बाद बतौर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2014-15 से 2018-19 तक लगातार बजट पेश किए। जेटली के खराब स्वास्थ्य के कारण मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे पीयूष गोयल ने एक फरवरी, 2019 को अंतरिम बजट पेश किया था। बता दें कि मोदी सरकार ने 2019 के आम चुनावों के बाद सीतारमण को वित्त विभाग की जिम्मेदारी सौंपी। वह इंदिरा गांधी के बाद बजट पेश करने वाली दूसरी महिला बनीं। इंदिरा गांधी ने वित्त वर्ष 1970-71 के लिए बजट पेश किया था।