
दुनियाभर में 4 फरवरी को वर्ल्ड कैंसर डे मनाया जाता है। विश्व कैंसर दिवस मनाने के पीछे का मुख्य उद्देश्य लोगों के बीच कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को लेकर जागरूकता फैलाते हुए रोग के संकतों को पहचनाने के लिए जानकारी देना है। बता दें, व्यक्ति अपने लाइफस्टाइल में बदलाव करके,नियमित जांच और इस बीमारी के शुरूआती लक्षण को पहचान कर कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को मात दे सकता है। विश्व कैंसर दिवस के इस खास मौके पर जानते हैं क्या है आई कैंसर के शुरुआती लक्षण और किन लोगों को इस तरह के कैंसर का खतरा ज्यादा बना रहता है।
क्या है आई कैंसर?
आई कैंसर का मतलब आंख में होने वाले कैंसर से है। आई कैंसर कई तरह के होते हैं। लेकिन इनमें मेलेनोमा (melanoma) कॉमन टाइप है। आंखों का कैंसर विभिन्न प्रकार के सेल्स को प्रभावित करता है। आईबॉल के अंदर पाए जाने वाले कैंसर को इंट्राऑकुलर कैंसर कहा जाता है। जबकि बच्चों में होने वाले सबसे कॉमन आई कैंसर को रेटीनोब्लास्टोमा कहते हैं,जो रेटीना की सेल्स से शुरू होता है। आई कैंसर आंख के साथ पूरे शरीर में भी फैल सकता है।
फोर्टिस हॉस्पीटल में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी डॉ प्रतीक वार्ष्णेय कहते हैं कि आंखों का कैंसर बेशक,दुर्लभ होता है लेकिन इसका शीघ्र डायग्नॉसिस होना काफी जरूरी है। ऐसा होने पर इलाज के नतीजों को काफी हद तक प्रभावित किया जा सकता है। शुरुआती लक्षणों और इससे जुड़े रिस्क फैक्टर्स को सही ढंग से समझ लिया जाए तो आंखों में मैलिग्नेंसी से काफी हद तक बचाव में मदद मिल सकती है।
आई कैंसर के शुरुआती लक्षण-
विजन में बदलाव-
आंखों का कैंसर होने पर सबसे पहले विजन में बदलाव होता है। जिसकी वजह से कई बार आंखों में धुंधलापन,कोई विकृति,आंखों में चौंध,एक आंख से अचानक दिखाई न देने जैसी शिकायत हो सकती है। जो किसी अन्य परेशानी की तरफ इशारा करती है।
आंखों में दर्द और बेचैनी महसूस होना-
अगर आंखों में लगातार दर्द बना रहता है या बेचैनी महसूस होने लगे,किसी तरह का दबाव आंखों पर महसूस हो अथवा ऐसा लगे कि आंखों में कुछ गिर गया है,तो इन लक्षणों की कतई अनदेखी नहीं करनी चाहिए। कई बार ये लक्षण आंखों में पनप रहे ट्यूमर की वजह से भी हो सकते हैं।
आंखों का असामान्य दिखाई देना-
आंखों का सामान्य से अलग दिखाई देना,जैसे किसी तरह की सूजन का होना,ट्यूमर की निशानी हो सकता है। इसलिए आंखों के रंग और आकार को लेकर सतर्कता बरतें।
आंखों में लाली और खुजली-
आंखों में लंबे समय तक लाली दिखाई दे, बेचैनी या खुजली हो, या बहुत पानी आ रहा हो तो इसे आंखों के कैंसर की निशानी समझें। अगर ये लक्षण बने रहें तो डॉक्टर से सलाह लेने में देरी न करें।
किन लोगों को होता है ज्यादा खतरा-
उम्र-
हालांकि आंखों का कैंसर किसी को भी किसी भी उम्र में हो सकता है,लेकिन आमतौर पर यह 50 साल से अधिक उम्र के लोगों में देखा जाता है। इसलिए जैसे-जैसे उम्र बढ़े,आंखों की नियमित रूप से जांच करवाते रहें।
नस्ल-
कुछ खास टाइप के कैंसर जैसे ऑक्यूलर मेलानोमा के अधिक मामले गोरी चमड़ी वाले लोगों और कॉकेशियाई नस्ल के लोगों में ज्यादा देखे गए हैं।
आनुवंशिक कारक –
आंखों के कैंसर की फैमिली हिस्ट्री रही हो या कोई ऐसा जेनेटिक कारण हो जैसे रेटिनोब्लास्टोमा, तो रिस्क बढ़ जाता है। इसलिए फैमिली हिस्ट्री होने पर जेनेटिक काउंसलिंग की सलाह दी जाती है।
पराबैंगनी किरण-
लंबे समय तक यूवी किरणों के संपर्क में रहना,चाहे वह सूरज की किरणों के रूप में हो या किसी कृत्रिम स्रोत जैसे कि टैनिंग बैड्स आदि से,ऑक्यूलर मेलोनोमा का रिस्क बढ़ सकता है। अपनी आंखों को तेज धूप से बचाने के लिए हमेशा ऐसे सनग्लास पहनकर घर से बाहर निकलें, जिनसे यूवी किरणों को रोकने में मदद मिलती है।
व्यावसायिक खतरे-
कई बार कुछ लोगों का काम ही इस तरह का होता है कि उन्हें काम के दौरान लंबे समय तक रसायनों या अन्य पदार्थों जैसे कि एस्बेस्टस अथवा फार्मेल्डीहाइड के संपर्क में रहना पड़ता है, और यह भी आंखों के कैंसर का कारण हो सकता है। इसलिए ऐसे पेशों में कार्यरत लोगों को अपनी आंखों का बचाव करने और नियमित रूप से जांच करवाने की सलाह दी जाती है।
सलाह-
आंखों के कैंसर से बचने के लिए शुरुआती चरण में ही रोग का पता लगना बेहद जरूरी है। इसके लिए जरूरी है कि आप आंखों में दिखाई या महसूस होने वाले किसी भी बारीक लक्षण की अनदेखी न करें। किसी भी परेशानी की स्थिति में जल्द से जल्द डॉक्टरी सलाह लें। इसके अलावा,आपको अपने रिस्क फैक्टर्स को समझकर उनके मुताबिक अपनी देखभाल, नियमित जांच करवानी चाहिए ताकि आंखों को सेहतमंद बनाया रखा जा सके। किसी भी समस्या या संदेह होने की स्थिति में हेल्थकेयर प्रोफेशनल के साथ इस बारे में बातचीत करें ताकि आपकी आंखों की रोशनी को बचाए रखने के लिए समय पर इलाज किया जा सके।