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घंटों लैपटॉप या कंप्यूटर पर बैठकर काम करने, ज्यादा देर मोबाइल-टीवी देखने और बॉडी को उचित पोषण ना मिलने पर अक्सर आंखों की रोशनी कमजोर होने लगती है। आंखों की रोशनी कमजोर होने पर व्यक्ति को साफ देखने में परेशानी होने लगती है। इस समस्या को दूर करने के लिए व्यक्ति को चश्मे का सहारा लेना पड़ता है। अगर आपके साथ भी ऐसी ही समस्या है तो योग आपकी मदद कर सकता है। योग की मदद से व्यक्ति को मानसिक ही नहीं बल्कि शारीरिक फायदे भी मिलते हैं। जी हां, व्यक्ति योग की मदद से अपनी आंखों की रोशनी तक में सुधार कर सकता है। यूं तो आंखों को सेहतमंद बनाए रखने के लिए कई तरह के योग बताए गए हैं, जिनमें से एक शीर्षासन है। आइए जानते हैं आखिर कैसे किया जाता है शीर्षासन योग और क्या है इसके फायदे और करने का सही तरीका।
शीर्षासन करने के फायदे-
शीर्षासन संस्कृत के दो शब्द शीर्ष और आसन से मिलकर बना है, जिसका अर्थ सिर के सहारे योग करना है। इस योग को करते समय व्यक्ति अपने सिर के बल खड़ा होता है। एक मेडिकल रिसर्च के अनुसार, शीर्षासन करने से एकाग्रता बढ़ने के साथ आंखों के रक्त संचार में सुधार भी हो सकता है। जिसका सीधा फायदा आंखों को मिल सकता है। इसके अलावा शीर्षासन करने मानसिक समस्याएं जैसे तनाव, डिप्रेशन, चिंता जैसी शिकायत दूर होने के साथ पाचन संबंधी समस्याएं भी कम होती हैं।
शीर्षासन करने की विधि-
शीर्षासन करने के लिए सबसे पहले योगा मैट बिछाकर वज्रासन की मुद्रा में बैठकर अपने दोनों हाथों की उंगलियों को एक दूसरे में फंसाते हुए सामने की ओर झुकते हुए अपने हाथों को जमीन पर रख दें। इसके बाद अपने सिर को झुकाकर दोनों हाथों के मध्य में रखते हुए जमीन पर टिका दें। इसके बाद अपने दोनों पैरों को एक साथ धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाते हुए पैरों को सीधा कर लें। ध्यान रखें, इस मुद्रा को करते समय आपका पूरा शरीर सिर के बल सीधा रहना चाहिए। ऐसा करते हुए कोहनियों का सहारा लेते हुए अपने शरीर का संतुलन बनाए रखें। क्षमता अनुसार थोड़ी देर इसी अवस्था में बने रहें और नियमित रूप से सांस लेते और छोड़ते रहें।
इसके बाद सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे अपने पैरों को नीचे लाते हुए शुरुआती मुद्रा में आ जाएं।
सावधानियां-
-अगर आपके सिर, गर्दन, कंधों या पीठ में दर्द रहता है तो इस योगासन को करने से बचना चाहिए।
-उच्च रक्तचाप के रोगी भी इस योगासन को करने से बचें।
-50 साल से अधिक उम्र के लोगों को भी यह योगासन नहीं करना चाहिए।
-गर्भावस्था के दौरान भी शीर्षासन न करें।