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इस्लामिक स्टेट से जंग में अमेरिका ने अपने सैनिकों को सीरिया और इराक में उतारा था। अमेरिकी रणनीतिकारों का कहना है कि हमारे सैनिकों को मोसुल और रक्का जैसे शहरों में फंसना पड़ गया था। इसकी वजह यह थी कि आतंकवादी नागरिकों को ह्यूमन शील्ड के तौर पर इस्तेमाल कर रहे थे। अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन और मिलिट्री लीडरशिप का कहना है कि रक्का और मोसुल में नागरिक भी मारे गए थे। इन जंगों में हजारों नागरिक भी निशाना बन गए थे। ऐसा ही संकट गाजा में भी खड़ा हो सकता है।
पेंटागन के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल पैट राइडर ने कहा, ‘इजरायली अफसरों से बातचीत में हमने साफ कर दिया है कि उसे यह सोचना होगा कि नागरिकों को नुकसान न पहुंचे। उसे गाजा पट्टी पर जमीनी अटैक से पहले सोचना होगा कि निकलने का रास्ता क्या होगा।’ इराक के मोसुल शहर में 8 महीने तक जंग चली थी। इस दौरान 10 हजार लोग मारे गए थे, जिनमें 3200 से ज्यादा नागरिक हवाई हमले और मोर्टार आदि में मर गए थे। बता दें कि जुलाई 2017 में इस्लामिक स्टेट ग्रुप का सफाया हो गया था।
बता दें कि गाजा पट्टी की आबादी 11 लाख से ज्यादा है और बड़ी संख्या में लोग पलायन कर चुके हैं। फिर भी घनी आबादी वाले इस क्षेत्र में काफी लोग बसे हैं। यहां हमास के ठिकाने भी हैं और यदि इजरायल की सेना घुसती है तो वह आम नागरिकों को ह्यूमन शील्ड के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है। ऐसी स्थिति इजरायली सेना के लिए जटिल होगी। इसीलिए वह आनन-फानन में एंट्री करने से हिचक रही है। अमेरिका के एक अन्य सैन्य अफसर ने कहा कि हम तो इजरायल के साथ अपने 20 साल के अनुभव को साझा कर रहे हैं।