
नयी दिल्ली. जी-20 देशों के संसदीय पीठासीन अधिकारियों का नौवां पी-20 सम्मेलन हरित ऊर्जा, महिला नीत विकास, डिजीटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा और सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में काम करने के संकल्प के साथ शनिवार को यहां संपन्न हो गया और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पी-20 की कमान ब्राजील के चैंबर ऑफ डेप्युटीज के अध्यक्ष आर्थर सीजर परेरा डी लीरा को सौंप दी।
यहां यशोभूमि में आयोजित दो दिवसीय पी-20 शिखर सम्मेलन में आज के आखिरी सत्र में श्री बिरला ने संयुक्त वक्तव्य के सर्वसम्मति से स्वीकार होने की घोषणा की और कहा कि संयुक्त वक्तव्य को सर्वसम्मति से मंजूरी मिलना पी-20 की प्रक्रिया की सफलता का प्रमाण है। उन्होंने कहा, “मेरे विचार में यह सम्मेलन जी-20 प्रक्रिया में संसदीय दृष्टिकोण को स्थापित करने में सफल रहा। भारत के लिए यह अत्यंत गौरव एवं सम्मान का विषय है कि जिस प्रकार जी-20 शिखर सम्मेलन में घोषणापत्र पर सर्वसम्मति बनी, उसी प्रकार एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य के लिए संसदें विषय पर आयोजित सम्मेलन में सर्वसम्मति बनी और हम संयुक्त वक्तव्य की घोषणा करने में सफल रहे। पी-20 का संयुक्त वक्तव्य एक पृथ्वी-एक परिवार – एक भविष्य पर संसदों की साझी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।”
उन्होंने कहा कि दो दिनों में इस सम्मेलन में वर्तमान वैश्विक चुनौतियों एवं विषयों पर संसदों की भूमिका पर सारगर्भित चर्चा हुई। बैठक में इन चुनौतियों पर अपने अनुभवों को साझा किया गया तथा इनके समाधान के लिए संसदें किस प्रकार भविष्य के रोडमैप पर काम कर सकती हैं, अपने-अपने देशों में संसदें किस प्रकार वैश्विक चुनौतियों का समाधान कर सकती हैं, उसपर भी विचार रखे गये।
श्री बिरला ने कहा, “मुझे विश्वास है कि एसडीजी, हरित ऊर्जा, महिला नेतृत्व वाले विकास और डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे पर चार विषयगत सत्रों पर आपके बहुमूल्य विचार और इनपुट मानव केंद्रित कल्याण के लिए जी-20 प्रक्रिया को और मजबूत करने में योगदान देंगे। इन दो दिनों में आप सभी ने जो विचार रखे हैं और जो सुझाव दिये हैं, हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि जो अच्छे सुझाव यहाँ सामने दिए गए हैं, हम उनके क्रियान्वयन पर विचार करें, उनकी प्रगति को कैसे गति दी जा सकती है, इसके लिए प्रयास करें।”
उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में हमने जिन विषयों पर चर्चा की, वे एक राष्ट्र की नहीं, बल्कि समग्र विश्व की हैं। इसीलिए वैश्विक समस्याओं का समाधान सामूहिक प्रयास से ही हो सकता है। विधायी संस्थाएं होने के नाते हमारा दायित्व है कि हम अपने अपने देशों में इन चुनौतियों पर गहन चर्चा संवाद करें, अपने निर्वाचकों में इनके प्रति जागरूकता का निर्माण करें और इनपर व्यापक जनमत बनाएं।