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भिलाई। छत्तीसगढ़ के साथ-साथ पूरे देश में भरथरी विधा को एक अलग पहचान दिलाने वाली भरथरी कलाकार अमृता बारले ने गुरुवार की देर शाम में भिलाई के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली । वे पिछले कुछ समय से बीमार थी और आईसीयू में भर्ती थी जहां डॉक्टरों की सतत निगरानी में उनका इलाज चल रहा था। रात में ही उनके निधन का समाचार मिलते लोककला के क्षेत्र में दुख की लहर दौड़ गई। उनका अंतिम संस्कार शुक्रवार को दोपहर में रिसाले मुक्तिधाम में किया जायेगा। उल्लेखनीय है कि अमृता बारले लोक कला के क्षेत्र में ख्यातिलब्ध कलाकार थी जिसने भरथरी को छत्तीसगढ के साथ पूरे देश में एक अमिट पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लोककला के क्षेत्र में उनके इस योगदान को देखते हुए राज्य सरकार ने उन्हे मिनीमाता राज्य अलंकरण सम्मान से नवाज था। अमृता बारले का जन्म सन् 2 मई 1958 में छत्तीसगढ के ग्राम- बठेना, वि.ख. पाटन, जिला दुर्ग में हुआ था। अमृता बारले के द्वारा छत्तीसगढ़ के ग्राम बठेना (दुर्ग) से 9 वर्ष की उम्र में सन् 1970 से 2023 तक कला के क्षेत्रसे अंतिम समय तक जुड़ी रही।