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Starlink Satellite Internet Service :- इस महीने के आखिर में एक हाई लेवल की मीटिंग होने वाली है जिसमें Elon Musk की बहुप्रतीक्षित स्टरलिंक इंटरनेट सर्विस के बारे में चर्चा होनी है. इस हाई -लेवल मीटिंग में सैटेलाइट (जीएमपीसीएस) सेवाओं के लाइसेंस द्वारा वैश्विक मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन के लिए स्टारलिंक के प्रस्ताव पर विचार किए जाने की उम्मीद है. रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि बैठक में प्रस्ताव को मंजूरी मिलने की संभावना है, हालांकि आखिरी मिनट में कुछ गड़बड़ भी हो सकती है. ऐसे में अगर इस प्रक्रिया को पूरा होने में समय लगे तो कोई हैरानी की बात नहीं है. हालांकि हितना जल्दी इस सर्विस को अप्रूवल को मिलेगा उतना ही जल्दी भारत में हाई-स्पीड इंटरनेट चलाया जा सकता है. आपको बता दें कि रिलायंस जियो और सुनील मित्तल की वन वेब ने पहले ही भारत में जीएमपीपीसीएस लाइसेंस हासिल कर लिया है.
क्या है स्टारलिंक?
स्टारलिंक एक सेटेलाइट बेस्ड इंटरनेट सर्विस है. स्टारलिंक, हजारों छोटे सेटेलाइट की मदद से हाई स्पीड इंटरनेट सेवा प्रदान करता है. इसके लिए कंपनी लो अर्थ आर्बिट सेटेलाइट का इस्तेमाल करती है. धरती से तकरीबन 500 किलोमीटर की ऊंचाई पर मौजूद रहने वाला एक सेटेलाइट 90 मिनट में पूरी पृथ्वी का चक्कर लगा लेता है. फिलहाल कंपनी के 2200 सेटेलाइट धरती के प्रत्येक कोने में इंटरनेट सुविधा देने के लिए काम कर रहे हैं.
GMPCS लाइसेंस हासिल करने वाली होगी तीसरी कंपनी :-
अगर स्टारलिंक को ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन (GMPCS) लाइसेंस मिल जाता है तो वह भारत में यह लाइसेंस हासिल करने वाली तीसरी कंपनी होगी. Jio और वन वेब (One Web) के पास भारत में पहले से ही यह लाइसेंस हैं.
बिना लाइसेंस स्टारलिंक ने लिए थे एडवांस ऑर्डर :-
Starlink को 2021 में दूरसंचार मंत्रालय द्वारा फटकार लगाई गई थी जब उसने बिना लाइसेंस के भारत में अपने डिवाइस के लिए एडवांस ऑर्डर लेना शुरू कर दिया था. लगभग 5,000 भारतीय ग्राहकों ने 99 डॉलर खर्च कर प्री-ऑर्डर दिए थे. दूरसंचार मंत्रालय की फटकार के बाद स्टारलिंक को पैसे वापस करने पड़े थे.