
संसद के विशेष सत्र में जहां एक तरफ लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधन दिया और देश की कई उपलब्धियां गिनाईं, वहीं दूसरी तरफ राज्यसभा में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी जोरदार भाषण दिया और कहा कि अंग्रेजों ने भारत को कमतर आंका, लेकिन यह एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में विजयी हुआ है।
खड़गे ने आगे कहा, “जब हमने 1950 में लोकतंत्र को अपनाया, तो कई विदेशी विद्वानों ने सोचा कि यहां लोकतंत्र विफल हो जाएगा क्योंकि यहां लाखों अशिक्षित लोग हैं। तत्कालीन ब्रिटिश प्रधान मंत्री चर्चिल ने यहां तक कहा था कि अगर अंग्रेज चले गए, तो न्यायपालिका, स्वास्थ्य सेवाएं, रेलवे और सार्वजनिक कार्य स्थापित हो जाएंगे उनके द्वारा पूरी तरह से नष्ट कर दिया जाएगा, सिस्टम को नष्ट कर दिया जाएगा। उन्होंने हमें बहुत कमजोर कर दिया। हमने लोकतंत्र को बनाए रखकर उन्हें गलत साबित कर दिया है। हमने इसे मजबूत किया और इसकी रक्षा की। आप पूछते हैं कि हमने 70 वर्षों में क्या किया है? हमने यही किया है 70 वर्षों में।”
लोकसभा में कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने भी इसी सवाल का जवाब दिया। अधीर रंजन ने कहा कि हर बार सवाल किया जाता है कि हमने कुछ नहीं किया, अगर ऐसा वाकई में है तो इसरो जैसे संस्थानों की स्थापना किसने की? 1964 में तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू ने इसकी स्थापना की थी। अधीर रंजन ने कहा कि जब देश भारत पाकिस्तान विभाजन, गरीबी और अन्य चुनौतियों के दुष्परिणामों से जूझ रहा था तब नेहरू की नीतियों ने देश को संभाला और विकास के रास्ते पर आगे बढ़ाया।
इससे पहले पीएम मोदी ने अपने भाषण में पंडित नेहरू, अटल बिहारी वाजपेयी समेत तमाम प्रधानमंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं को याद किया। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की ‘मिडनाइट’ स्पीच को याद करते हुए पीएम मोदी ने कहा, इसी सदन में पंडित नेहरू के भाषण की गूंज हम सभी को प्रेरित करती रहेगी। पीएम ने कहा कि दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कहा था कि सरकारें आएंगी जाएंगी, पार्टियां बनेंगी बिगड़ेंगी, लेकिन यह देश रहना चाहिए।
संसद के पुराने भवन में ये आज आखिरी दिन है। 19 सितंबर से संसद नए भवन में शिफ्ट हो जाएगी। इस मौके पर पीएम ने कहा, “इस सदन से विदा लेना बहुत ही भावुक पल है। परिवार भी अगर पुराना घर छोड़कर नए घर में जाता है, तो बहुत सी यादें उसे झकझोर देती हैं। जब हम यह सदन को छोड़कर जा रहे हैं, तो हमारा मन भी उन यादों से भरा है। खट्टे मीठे अनुभव रहे हैं, नोंक झोक भी रही है। ये सारी यादें, हम सभी की साझी विरासत है। इसका गौरव भी हम सभी का साझा है।”