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रायपुर। राजधानी रायपुर में कल 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी का त्योहार है। इस अवसर पर जगह-जगह गणपती स्थापना की तैयारियां की जा रही हैं। इसी कड़ी में रायपुर में छत्तीसगढ़ ओलंपिक की तर्ज पर गणपति जी बनाए गए हैं। इसके अलावा फल, फूल, सब्जियों, भौरा-रेत, बांटी, गिल्ली, डंडा, कॉफी के बीज सहित विभिन्न अनाजों और फलाहारी गणेश जी की मूर्ति तैयार किया गया है, जो कल विराजेंगे।
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500 भौरा, 1000 बांटी, 700 गिल्ली डंडा से बने गणेश जी-
मूर्तिकार यादव परिवार ने इस बार 500 भौरा, 1000 बांटी, 700 गिल्ली डंडा से गणेश जी की प्रतिमा को तैयार किया है। पारिजात और सीसम की लकड़ी से गिल्ली डंडा बना है। मूर्तिकार राशि यादव ने बताया कि बलमहाराज गणेश उत्सव समिति डंगनिया में यह गणपति जी विराजमान होंगे, इसे बनाने में 3 महीने लगे। जब छत्तीसगढ़ में ओलंपिक की शुरुआत हुई तभी इस थीम को सोच लिए थे, तभी से इस पर काम शुरू किया है।
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बरबट्टी, कद्दू, कुसुम, भिंडी, सूरजमुखी, कलिंदर, खरबूजा, मेथी, करेला के बीज से बने गणेश जी-
बता दें कि इस गणपती को फल, फूल सब्जियों के बीज से बनाया गया हैं। इस मुर्ति को 15 दिन में तैयार किया गया है। ये उपचारित बीज हैं घर में उगाने पर इसमें सब्जी उग जाएंगे। पूर्व राज्यमंत्री भाजपा के वरिष्ठ नेता जेपी शर्मा के घर ये गणपति विराजमान होंगे।
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कॉफी के बीज से बने गणपति जी-
इस गणपती जी को कॉफी के बीजों से तैयार किया गया है। कच्चे और भुना हूआ दो प्रकार के बीजों से इस गणेश जी बनाया गया है। वहीं इनका मुकुट पेपर स्ट्रॉ से बनाया गया है। इसके अलावा मौली धागा, मोती, धान, चावल से भी गणेश जी बनाया गया है। इस बार पेपर क्राफ्ट के गणपती ज्यादा डिमांड में है।
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विभिन्न अनाजों से तैयार की गई 10 मूर्तियां-
बता दें कि गणेश भगवान की ज्वेलरी मक्के के दाने से तैयार की गई है। जब की सफेद और काले तिल के भी गणेश जी बनाए गए हैं। साबुत फल्ली से उनका धोती बना है। सोयाबीन उड़द का भी इस्तेमाल किया गया है।
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फलाहारी गणेश जी-
बता दें कि सिंघाड़ा, फल्ली, साबूदाना, नारियल मखाना के इस्तेमाल से भी गणेश जी बनाए हैं। मखाने से दुपट्टा, साबूदाने से पगड़ी, कमगट्टा और लाल फल्ली के दाने से गहना बनाया गया है। फल्ली से मूसक राज बनाया गया है। इसे तैयार करने में एक महीने लग गए हैं।
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कलरफुल पेपर क्राफ्ट से बने गणेश जी-
इस गणेश को 7 दिन में तैयार किया गया है। यादव परिवार हर साल मिलकर अलग अलग थीम पर गणेश जी बनाते हैं। मूर्तिकार राशि यादव बताती हैं कि पिताजी शिवचरण यादव ने 13 साल पहले इको फ्रेंडली और यूनिक गणेश बनाने का शुरुआत किए थे, उसके बाद से ही पूरा परिवार मूर्तियां बनाते आ रहा है।